
विकास एक ऐसा मुद्दा जो आज के दौर में सबसे बड़ा है। चुनाव में प्रत्याशी इसी की दुहाई देते हैं, उपलब्धियों की फेहरिस्त का तंबू इसी बंबू पर टिकाया जाता है। पहले घोषणाएं होती हैं फिर दावे किए जाते हैं। जनप्रतिनिधि गिनाते हैं कि उन्होंने शहर के विकास की रफ्तार के लिए क्या-क्या किया, लेकिन तब क्या करें जब गिनाने के लिए कुछ हो ही न। न कुछ बता सकते हैं न दिखा सकते हैं।
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