
उस पिता के साथ नाइंसाफी तो उसी दिन हो गई थी जिस दिन उसके जवान बेटे के सीने में पुलिस ने ताबड़तोड़ कई गोलियां दाग दीं। उसे हिस्ट्रीशीटर बताकर अपराधी साबित कर दिया। इस झूठ के खिलाफ लड़ाई में बुजुर्ग पिता का साथ देने की बजाय सरकार ने भी समय-समय पर अपराधियों की मदद की और विवेचना रोकने से लेकर मुकदमा तक वापस लेने के आदेश किए।
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